मैं उन सभी पाठक गणों का आभार व्यक्त करना चाहती हूँ जिन्होंने अपना बहुमूल्य समय दिया मेरी लिखी कविताओ को पढने के लिए , अपने विचार को व्यक्त और मुझे प्रेरित करने के लिए । एक अनुरोध भी है कि कृपया ऐसे ही पढ़ते रहिये, अपनी टिम्पनिया और मुझे प्रेरणा देते रहिये ।
धन्यवाद :-)
महा-शिवरात्रि पर्व की सभी को बधाई !
जिंदगी वीरान सी थी,
दिल भी था कहीं बंजर,
खालीपन सा था कहीं,
तुम्हारे बिना मेरे अन्दर।
तमन्ना थी की तुम आओ,
मेरे हर सवालो के जवाब बनकर,
तुम बूँद बनकर समां जाओ मुझमे,
जैसे की मैं हूँ एक खाली समंदर।
मेरी सारी बाते बिना बोले समझ जाओ ,
केवल मेरी धडकनों को सुनकर ,
आ जाओ मेरी जिंदगी में ऐसे,
आती है जैसे बदलो से सूरज की किरने चंनकर।
अब तो बस इंतज़ार है , उस पल का...
नजाने कब वो आये हसीं मंज़र ...
दिल भी था कहीं बंजर,
खालीपन सा था कहीं,
तुम्हारे बिना मेरे अन्दर।
तमन्ना थी की तुम आओ,
मेरे हर सवालो के जवाब बनकर,
तुम बूँद बनकर समां जाओ मुझमे,
जैसे की मैं हूँ एक खाली समंदर।
मेरी सारी बाते बिना बोले समझ जाओ ,
केवल मेरी धडकनों को सुनकर ,
आ जाओ मेरी जिंदगी में ऐसे,
आती है जैसे बदलो से सूरज की किरने चंनकर।
अब तो बस इंतज़ार है , उस पल का...
नजाने कब वो आये हसीं मंज़र ...
Labels:
कविता
क्यूँ आंसुओ से गम धुल नहीं पाते ?
क्यूँ बारिश की बूंदों के साथ वो घुल नहीं जाते ?
काश की उन्हें भी कुछ बहा ले जाती ,
तो कम से कम वो गम हमे याद तो न आती ...
क्यूँ बारिश की बूंदों के साथ वो घुल नहीं जाते ?
काश की उन्हें भी कुछ बहा ले जाती ,
तो कम से कम वो गम हमे याद तो न आती ...
Labels:
ज़िन्दगी
Subscribe to:
Posts (Atom)