आपको देखू तो दिल को थोड़ी रहत मिले,
आपके कदमो की एक तो आहट मिले,
इंतज़ार है न जाने कब से मुझे,
काश की मुझे आपकी एक मुस्कराहट मिले ...
गुज़र जाते है आप मुझे गैर समझ कर
काश की मुझे भी आपकी नज़रे इनायत मिले,
इंतज़ार है न जाने कब से मुझे ,
काश की मुझे आपकी एक मुस्कराहट मिले ...
भूलकर ख़ुद को भी डूब जाऊ मैं आपकी निगाहों में ,
एक ऐसा पल जो कभी क़यामत मिले,
उस घड़ी का इंतज़ार करेंगे हम ज़िन्दगी भर ,
काश की आपके जीवन का एक पल हमें अमानत मिले ...
अपनी चाहत को हम कभी ज़ाहिर ना कर पाएंगे,
पर मेरी चाहत की आपको कुछ तो सुगबुगाहट मिले,
इंतज़ार है ना जाने कब से मुझे,
काश की मुझे आपकी एक मुस्कराहट मिले ...
कभी तो मुझे भी आपके रिश्तो की गरमाहट मिले,
जितना चाहते हैं हम आपको,
हमें भी उतनी ही चाहत मिले,
इंतज़ार है ना जाने कब से मुझे,
काश की मुझे आपकी एक मुस्कराहट मिले ...
इल्तजा है बस इतनी खुदा से हमारी ,
आपको आपकी हर चाहत मिले,
जिस एक मुस्कराहट को तरसे हैं हम,
आपको ज़िन्दगी भर वो मुस्कराहट मिले,
इंतज़ार है ना जाने कब से मुझे,
काश की मुझे आपकी एक मुस्कराहट मिले ...
"ज़िन्दगी"
कैसी पहेली है जिंदगी,
कभी लगती है दुश्मन... तो
कभी अपनी सहेली है जिंदगी।
कभी लगती है पहाड़ सी बोझ ... तो ,
कभी एक अठखेली है ज़िन्दगी।
कभी मेरे से बहुत दूर ... तो,
कभी मेरे साथ ही हो ली है ज़िन्दगी।
न जाने कैसी पहेली है ज़िन्दगी??
कभी तो यह एक समुन्दर की मौज है...तो
कभी यह न ख़तम होने वाली एक खोज है ।
कभी तो शांत, सुकून से बहती नदी की एक धारा है,
जिसके साथ बहने का एक अपना ही मज़ा है ...तो,
कभी यह एक तूफ़ान सी हो जाती है,
जिसके साथ बहना भी एक सज़ा है...
कभी तो एक बहाव सी है ज़िन्दगी...तो,
कभी एक ठहराव सी है ज़िन्दगी ।
कभी तो यह ना ख़तम होने वाली काली रात सी लगती है ...तो ,
कभी यह दो दिलों के बीच चलने वाली बात सी लगती है।
कभी तो यह कमज़ोर सी दिखती है ज़िन्दगी ...तो,
कभी इसकी ज़ोर भी दिखती है ।
आख़िर में और क्या कहें , क्या है यह ज़िन्दगी...
अन्दर से कुछ और ... और बाहर से कुछ और है ज़िन्दगी।
कभी लगती है दुश्मन... तो
कभी अपनी सहेली है जिंदगी।
कभी लगती है पहाड़ सी बोझ ... तो ,
कभी एक अठखेली है ज़िन्दगी।
कभी मेरे से बहुत दूर ... तो,
कभी मेरे साथ ही हो ली है ज़िन्दगी।
न जाने कैसी पहेली है ज़िन्दगी??
कभी तो यह एक समुन्दर की मौज है...तो
कभी यह न ख़तम होने वाली एक खोज है ।
कभी तो शांत, सुकून से बहती नदी की एक धारा है,
जिसके साथ बहने का एक अपना ही मज़ा है ...तो,
कभी यह एक तूफ़ान सी हो जाती है,
जिसके साथ बहना भी एक सज़ा है...
कभी तो एक बहाव सी है ज़िन्दगी...तो,
कभी एक ठहराव सी है ज़िन्दगी ।
कभी तो यह ना ख़तम होने वाली काली रात सी लगती है ...तो ,
कभी यह दो दिलों के बीच चलने वाली बात सी लगती है।
कभी तो यह कमज़ोर सी दिखती है ज़िन्दगी ...तो,
कभी इसकी ज़ोर भी दिखती है ।
आख़िर में और क्या कहें , क्या है यह ज़िन्दगी...
अन्दर से कुछ और ... और बाहर से कुछ और है ज़िन्दगी।
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