दिल को आदत सी हो गयी है चोट खाने की
तुमसे दर्द पाकर भी मुस्कुराने की ....
ये जानते हुए की तुम आओगे नहीं कभी
फिर भी न जाने क्यूँ आस लगी है तुम्हारे आने की
दिल को आदत सी हो गयी है चोट खाने की
तुमसे दर्द पाकर भी मुस्कुराने की ...
ये जानते हुए की तुम्हे मुझे सुनना पसंद नहीं
फिर भी आदत सी है तुम्हे हर बात सुनाने की
ये जानते हुए की तुम्हे मेरी बातो में कोई दिलचस्पी नहीं
फिर भी आदत सी हो गयी है तुम्हे दिल की हर बात बताने की
तुमसे दर्द पाकर भी मुस्कुराने की ...
9 comments:
शब्दों में बयां करना मुश्किल है यह सब. आपने प्रयास किया फिर भी.
एक बेहतरीन अश`आर के साथ पुन: आगमन पर आपका हार्दिक स्वागत है.
कविता अच्छी है...
आदत बुरी है, बदल डालो .. ;)
कविता अच्छी है...
आदत बुरी है, बदल डालो .. ;)-----------सहमत हूँ...प्रोफ़ाईल फोटो सुन्दर है....
Hey Neha,
Its ok....i kind of undertd the emotions behind the words...tc care Dost!!! ..n above al whn u hav this wonderful art of writin in you dn use this to make u feel good....n to make others feel gud....like u alwaz do!!
आपका फिर से आना सुखद है। मेरे साथ ये एक अजीब इत्तफाक हुआ कि जिन चंद ब्लॉग को फॉलो किया वो कम ही लिखने वाले निकले। उम्मीद तो यही है कि आप रेगुलर होंगी। कम से कम साप्ताहिक तो जरुर।
ultimate...
Thank you very much for your post! I am very interested in your points.
A few snaps dont belong to India, there's much more to India than this...!!!.
Take a look here India
बिटिया शुभाशीष
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