दिल को आदत सी हो गयी है चोट खाने की
तुमसे दर्द पाकर भी मुस्कुराने की ....
ये जानते हुए की तुम आओगे नहीं कभी
फिर भी न जाने क्यूँ आस लगी है तुम्हारे आने की
दिल को आदत सी हो गयी है चोट खाने की
तुमसे दर्द पाकर भी मुस्कुराने की ...
ये जानते हुए की तुम्हे मुझे सुनना पसंद नहीं
फिर भी आदत सी है तुम्हे हर बात सुनाने की
ये जानते हुए की तुम्हे मेरी बातो में कोई दिलचस्पी नहीं
फिर भी आदत सी हो गयी है तुम्हे दिल की हर बात बताने की
तुमसे दर्द पाकर भी मुस्कुराने की ...